नकल न देने पर लोक सेवा के प्रभारी डिप्टी कलेक्टर पर 5 हजार का हर्जाना
जिला उपभोक्ता आयोग ने डीसी को पांच हजार परिवाद व्यय की भरपाई करने के दिए आदेश
ECFQ/C13/101124
10 November 2024 Sunday, Chhatarpur
छतरपुर। एक महत्वपूर्ण मामले में जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग ने लोक सेवा गारंटी अधिनियम का पालन न करने और समय पर आदेश की नकल उपलब्ध न कराने के कारण सागर के प्रभारी डिप्टी कलेक्टर पर 5,000 रुपये का हर्जाना लगाया है। आयोग ने यह भी आदेश दिया है कि डिप्टी कलेक्टर इस राशि को उपभोक्ता को परिवाद व्यय के रूप में भरपाई करें। इस निर्णय को लोक सेवा में कमी मानते हुए आयोग ने राज्य के अधिकारियों को लोक सेवा गारंटी के नियमों की अनदेखी को लेकर चेतावनी दी है।
मामले का विवरण
इस मामले की शिकायत अधिवक्ता चंद्रदेव त्रिपाठी द्वारा जिला उपभोक्ता आयोग में की गई थी। त्रिपाठी ने 11 अप्रैल 2024 को छतरपुर तहसील के लोक सेवा केंद्र में सागर स्थित अपर आयुक्त कोर्ट के आदेश की प्रमाणित नकल के लिए आवेदन किया था। लोक सेवा केंद्र ने प्रमाणित प्रति देने के लिए 6 मई 2024 की तारीख निर्धारित की थी, लेकिन आवेदक को निर्धारित तिथि पर नकल उपलब्ध नहीं कराई गई। आरोप के अनुसार, रीडर की डिमांड पूरी न होने के कारण आवेदन को सागर स्थानांतरित कर दिया गया था, जिससे आवेदक को असुविधा का सामना करना पड़ा।
उपभोक्ता आयोग का निर्णय
जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष संत कुमार कश्यप ने इस मामले की सुनवाई करते हुए पाया कि लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत नागरिकों को निर्धारित समय सीमा में सेवाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य है। आयोग ने माना कि आदेश की नकल देने में देरी कर उपभोक्ता को जानबूझकर परेशान किया गया, जो सेवा में गंभीर कमी को दर्शाता है।
इसके परिणामस्वरूप, आयोग ने संबंधित डिप्टी कलेक्टर पर पांच हजार रुपये का हर्जाना लगाया और निर्देश दिया कि उपभोक्ता को यह राशि वाद व्यय के रूप में भरी जाए। साथ ही, आयोग ने कलेक्टर को भी इस मामले में आवश्यक कार्रवाई हेतु निर्देशित किया है, जिससे भविष्य में इस प्रकार की अनदेखी न हो।
लोक सेवा गारंटी अधिनियम का महत्व
मध्य प्रदेश लोक सेवा गारंटी अधिनियम का उद्देश्य नागरिकों को विभिन्न सरकारी सेवाएं समय सीमा में उपलब्ध कराना है। इस अधिनियम के तहत यदि कोई अधिकारी निर्धारित समय में सेवा प्रदान करने में विफल रहता है, तो संबंधित अधिकारी पर जुर्माना लगाया जा सकता है। यह अधिनियम सरकार के पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांत को बढ़ावा देता है, ताकि नागरिकों को सरकार द्वारा संचालित सेवाओं का लाभ सुगमता से मिल सके।