हिमाचल हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्ति आयु घटाने के इरादे को ठहराया गैरकानूनी
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला
KHXT/H1/101124
Updated: 10 November 2024 Sunday, Shimla
शिमला। हाल ही में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को गैर-कानूनी करार दिया, जिसमें चतुर्थ श्रेणी (Group D) कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की आयु को 60 वर्ष से घटाकर 58 वर्ष करने का निर्णय लिया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सभी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी, चाहे उनकी नियुक्ति 10 मई 2001 से पहले हुई हो या इसके बाद, 60 वर्ष की आयु तक अपनी सेवा जारी रखने का अधिकार रखते हैं।
न्यायालय का रुख और तर्क
इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अगुवाई में हाई कोर्ट की खंडपीठ ने पुराने निर्णय को दोहराते हुए राज्य सरकार के फैसले को गैर-कानूनी करार दिया। कोर्ट ने कहा कि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के साथ सेवानिवृत्ति की आयु को लेकर किया जा रहा भेदभाव पूरी तरह से अनुचित है। कोर्ट का यह भी कहना था कि 60 साल तक नौकरी करना इन कर्मचारियों का संवैधानिक हक है, और इस अधिकार का हनन किया जाना गलत है।
नारो देवी का मामला और कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने यह फैसला एक याचिका के संदर्भ में सुनाया, जिसमें याचिकाकर्ता नारो देवी को 58 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने का राज्य सरकार का फैसला गलत ठहराया गया। कोर्ट ने प्रतिवादियों को निर्देश दिया कि वे नारो देवी को सेवा में बने रहने की अनुमति दें, ताकि वह 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक अपनी सेवाएं जारी रख सके। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जो भी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 10 मई 2001 के बाद सरकारी सेवाओं में शामिल हुए हैं, उन्हें भी 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर ही सेवानिवृत्त किया जाएगा।
भविष्य के लिए दिशा-निर्देश
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि जिन कर्मचारियों को 60 वर्ष की आयु से पहले सेवानिवृत्त कर दिया गया था, उन्हें फिर से नौकरी पर बुलाया जाए, ताकि वे अपनी सेवा अवधि 60 वर्ष की आयु तक पूरी कर सकें। इस आदेश ने हिमाचल प्रदेश में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए राहत की एक नई किरण जगाई है, क्योंकि इससे न केवल उनके सेवा अधिकार की रक्षा हुई है, बल्कि उनके आर्थिक और सामाजिक स्थिरता को भी समर्थन मिला है।
इस निर्णय का व्यापक प्रभाव
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का यह फैसला न केवल राज्य के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अन्य सरकारी कर्मचारियों के लिए भी एक प्रेरणादायक मिसाल बन सकता है। इस फैसले से यह स्पष्ट है कि सेवानिवृत्ति की आयु के संदर्भ में कर्मचारियों के अधिकारों का हनन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।