Court_Orders_Fresh_Demarcation

मामले में याचिकाकर्ताओं का दावा था कि बिना उचित नोटिस दिए उनकी भूमि के पास का सीमांकन (demarcation) कर दिया गया। रिकॉर्ड में दर्शाया गया कि गांव कोटवार ने कहा कि याचिकाकर्ता ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया, परंतु कोटवार का शपथपत्र नहीं लिया गया और न ही SDO ने उसकी गवाही ली।

कोर्ट ने पाया कि सीमांकन पंचनामा में हेरफेर के संकेत हैं, जैसे कि एक लाइन छोटे फॉन्ट में बाद में जोड़ी गई प्रतीत होती है। इसके अलावा अन्य दस्तावेजों में भी संदेह की स्थिति पाई गई।

अतः कोर्ट ने SDO के आदेश को रद्द करते हुए मामला पुनः सीमांकन हेतु SDO को सौंपा। साथ ही SDO को निर्देशित किया कि वह याचिकाकर्ता एवं समीपस्थ कृषकों को विधिवत नोटिस जारी कर पुनः सीमांकन कराएं।

IN THE HIGH COURT OF MADHYA PRADESH AT JABALPUR

BEFORE HON’BLE SHRI JUSTICE GURPAL SINGH AHLUWALIA

ON THE 17th OF FEBRUARY, 2023

MISC. PETITION No. 1488 of 2020

पक्षकार:

  1.  गोपीलाल जाट, पिता श्री अमरा जी, उम्र लगभग 79 वर्ष, व्यवसाय: कृषक, जाति जाट, निवासी बदलिया बरमद, तहसील आष्टा, जिला सीहोर (मध्यप्रदेश)
  2.  सुआलाल जाट, पिता श्री अमरा जी, व्यवसाय: कृषि, निवासी बदलिया बरमद, तहसील आष्टा, जिला सीहोर (मध्यप्रदेश)

….. याचिकाकर्ता


(याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता सुश्री जयलक्ष्मी अय्यर)

और

  1.  डापू बाई, पत्नी श्री जगन्नाथ जाट, निवासी ग्राम बदलिया बरमद, तहसील आष्टा, जिला सीहोर (मध्यप्रदेश)
  2. झामू बाई, पुत्री श्री जगन्नाथ जाट, निवासी ग्राम बदलिया बरमद, तहसील आष्टा, जिला सीहोर (मध्यप्रदेश)
  3. अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) आष्टा, जिला सीहोर (मध्यप्रदेश)
  4. नायब तहसीलदार, तहसील आष्टा, जिला सीहोर (मध्यप्रदेश)

 ….. प्रतिवादीगण

 (प्रतिवादी क्रमांक 3 और 4 / राज्य की ओर से शासकीय अधिवक्ता श्री देवेश कुमार जैन)


यह याचिका आज सुनवाई के लिए आई, न्यायालय ने निम्नलिखित आदेश पारित किया:

ORDER

  • यह याचिका भारत के संविधान के अनुच्छेद 227 के अंतर्गत प्रस्तुत की गई है, जो कि दिनांक 08.01.2020 को एस.डी.ओ. (राजस्व) आष्टा, जिला सीहोर द्वारा राजस्व प्रकरण क्रमांक 63/अपील/2019-20 तथा दिनांक 31.05.2019 को नायब तहसीलदार आष्टा, जिला सीहोर द्वारा प्रकरण क्रमांक 12/ए-12/2019-20 में पारित आदेश के विरुद्ध है।
  •   वर्तमान याचिका के निराकरण के लिए आवश्यक संक्षिप्त तथ्य यह हैं कि प्रतिवादी क्रमांक 1 और 2 ने अपनी संपत्ति के सीमांकन के लिए एक आवेदन प्रस्तुत किया।
  •   याचिकाकर्ता समीपवर्ती भूमि के स्वामी हैं।
  •   याचिकाकर्ताओं का कहना है कि बिना याचिकाकर्ताओं सहित समीपवर्ती कृषकों को कोई सूचना दिए सीमांकन कर दिया गया।
  • याचिकाकर्ताओं को कोई सूचना नहीं दी गई और यह झूठा उल्लेख किया गया कि याचिकाकर्ताओं ने स्वीकृति पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।
  • याचिकाकर्ताओं की अनुपस्थिति में ही सीमांकन कर दिया गया।
  •   अपीलित आदेश से स्पष्ट है कि आदेश का संचालन भाग एक ही अनुच्छेद में है।
  •  एस.डी.ओ. द्वारा उल्लेख किया गया कि अधीनस्थ न्यायालय का रिकॉर्ड और दस्तावेजों का अवलोकन किया गया और पाया गया कि समीपवर्ती कृषकों तथा अन्य संबंधित पक्षकारों को 29.05.2019 को सूचना दी गई थी और ग्राम पंचायत के कोटवार ने यह उल्लेख किया कि याचिकाकर्ताओं ने पंचनामा पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया।
  •  एस.डी.ओ. (राजस्व) आष्टा, जिला सीहोर द्वारा पारित आदेश को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता ने यह प्रस्तुत किया कि ऐसा प्रतीत होता है कि एस.डी.ओ. ने इस आवेदन को अनुच्छेद 129(5)(4) एमपीएलआर कोड के तहत ऐसे निर्णय लिया जैसे कि यह कोई अपील हो।
  • पक्षकारों के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनी गईं।
  • 9. एमपीएलआर कोड की धारा 129 इस प्रकार है:

“129. Demarcation of boundaries of survey number or sub-division of survey number or block number or plot number.”
“129. सर्वे नंबर या उसके उप-विभाजन या ब्लॉक नंबर या भूखण्ड नंबर की सीमाओं का सीमांकन।”

(1) तहसीलदार, किसी पक्षकार के आवेदन पर, किसी राजस्व निरीक्षक या नगर सर्वेक्षक को किसी सर्वे नंबर या उसके उप-विभाजन या ब्लॉक नंबर या भूखंड नंबर की सीमाओं का सीमांकन करने तथा वहां सीमा चिन्ह स्थापित करने के लिए नियुक्त कर सकता है।

 (2) उक्त नियुक्त राजस्व निरीक्षक या नगर सर्वेक्षक, समीपवर्ती भूमि धारकों सहित सभी संबंधित पक्षकारों को सूचना देकर, किसी सर्वे नंबर या उसके उप-विभाजन या ब्लॉक नंबर या भूखंड नंबर की सीमाओं का सीमांकन करेगा, वहां सीमा चिन्ह स्थापित करेगा और तहसीलदार को नियमानुसार सीमांकन रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। इस रिपोर्ट में सीमांकित भूमि पर भूमिस्वामी के अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति के कब्जे का विवरण भी सम्मिलित किया जाएगा।

  (3) सीमांकन करने के लिए राजस्व निरीक्षक या नगर सर्वेक्षक, नियमानुसार निर्धारित किसी एजेंसी की सहायता ले सकता है।

  (4) सीमांकन रिपोर्ट प्राप्त होने पर, तहसीलदार समीपवर्ती भूमि धारकों सहित सभी संबंधित पक्षकारों को सुनवाई का अवसर प्रदान कर, या तो सीमांकन रिपोर्ट की पुष्टि करेगा अथवा उपयुक्त आदेश पारित करेगा।

 (5) उपखंड (4) के अंतर्गत सीमांकन रिपोर्ट की पुष्टि से आहत कोई भी पक्षकार उपखंड अधिकारी के समक्ष निम्नलिखित आधारों पर उसे निरस्त करने हेतु आवेदन कर सकता है –

  (a) उसे उपखंड (2) के अंतर्गत अपेक्षित सूचना या उपखंड (4) के अंतर्गत सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया; या

  (b) कोई अन्य पर्याप्त आधार:

 परंतु यह आवेदन तहसीलदार द्वारा सीमांकन रिपोर्ट की पुष्टि की तिथि या जानकारी मिलने की तिथि, इनमें से जो भी बाद में हो, से 45 दिनों के भीतर ही स्वीकार्य होगा।

  (6) उपखंड अधिकारी, यदि वह उपखंड (5) के अंतर्गत किया गया आवेदन स्वीकार करता है, तो समीपवर्ती भूमि धारकों सहित सभी संबंधित पक्षकारों को सुनवाई का अवसर देने तथा आवश्यकतानुसार जांच करने के पश्चात या तो उपखंड (2) के तहत प्रस्तुत सीमांकन रिपोर्ट की पुष्टि कर सकता है या नियमानुसार निर्धारित व्यक्तियों की एक टीम नियुक्त कर पुनः सीमांकन करवा सकता है।

  (7) उपखंड (6) के अंतर्गत नियुक्त टीम, समीपवर्ती भूमि धारकों सहित सभी संबंधित पक्षकारों को सूचना देने के पश्चात, किसी सर्वे नंबर या उसके उप-विभाजन या ब्लॉक नंबर या भूखंड नंबर की सीमाओं का सीमांकन करेगी, वहां सीमा चिन्ह स्थापित करेगी और नियमानुसार उपखंड अधिकारी को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिस पर उपखंड अधिकारी उपयुक्त आदेश पारित कर सकता है।

 (8) धाराओं 44 और 50 में निहित किसी भी प्रावधान के बावजूद, इस धारा के अंतर्गत पारित किसी आदेश या की गई कार्यवाही के विरुद्ध कोई अपील या पुनरीक्षण आवेदन स्वीकार्य नहीं होगा।

  (9) राज्य सरकार नियम बना सकती है जिससे तहसीलदार द्वारा सर्वे नंबर या उसके उप-विभाजन या ब्लॉक नंबर या भूखंड नंबर की सीमाओं के सीमांकन की प्रक्रिया को विनियमित किया जा सके, सीमा चिन्हों के प्रकार को निर्धारित किया जा सके और सीमांकित सर्वे नंबर या उप-विभाजन या ब्लॉक नंबर या भूखंड नंबर के भूमि धारकों से शुल्क वसूलने की स्वीकृति दी जा सके।

 इन परिस्थितियों में, एस.डी.ओ. (राजस्व) आष्टा, जिला सीहोर को एम.पी.एल.आर. कोड की धारा 129(5) के अंतर्गत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करना चाहिए था और सीमांकन को पुनः करवाने के लिए एक टीम गठित करनी चाहिए थी।

 चूंकि एस.डी.ओ. (राजस्व) आष्टा, जिला सीहोर, अपने निहित अधिकारों का प्रयोग करने में बुरी तरह विफल रहे हैं, अतः दिनांक 08.01.2020 को राजस्व प्रकरण क्रमांक 63/अपील/2019-20 में पारित आदेश को निरस्त किया जाता है।

  • 13.  यह मामला एस.डी.ओ. (राजस्व) आष्टा, जिला सीहोर को वापस भेजा जाता है ताकि वह सीमांकन के लिए पुनः एक टीम नियुक्त कर सकें।
  • 14. याचिकाकर्ताओं को निर्देशित किया जाता है कि वे दिनांक 13 अप्रैल 2023 को एस.डी.ओ. (राजस्व) आष्टा, जिला सीहोर के समक्ष उपस्थित हों।
  • 15. यदि आवश्यक हुआ तो एस.डी.ओ. (राजस्व) आष्टा, जिला सीहोर प्रतिवादियों को नोटिस जारी करेंगे।

एस.डी.ओ. स्वयं प्रतिवादियों एवं अन्य समीपवर्ती कृषकों को भी नोटिस जारी करेंगे।

 यदि याचिकाकर्ता एस.डी.ओ. (राजस्व) आष्टा, जिला सीहोर के समक्ष उपस्थित नहीं होते हैं तो यह आदेश स्वतः प्रभावहीन हो जाएगा और दिनांक 08.01.2020 का आदेश पुनः प्रभाव में आ जाएगा।

  • 16. उपरोक्त टिप्पणियों के साथ, यह याचिका अंतिम रूप से निस्तारित की जाती है।

(G.S. AHLUWALIA)

JUDGE

MP_1488_2020_FinalOrder_17-Feb-2023

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