ई-केवाईसी : छोटे शहर शीर्ष पर, बड़े शहर सबसे पीछे

Updated on: 17 November 2024 Sunday, Bhopal ECXT/B1/171124

भोपाल | सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए ई-केवाईसी अनिवार्य है। हालिया रिपोर्ट में प्रदेश में ई-केवाईसी की स्थिति को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। छोटे जिले, जैसे सीहोर और पांढुर्ना, जहां पेंडेंसी मात्र 1.55% है, शीर्ष पर हैं। इसके विपरीत, राजधानी भोपाल और इंदौर जैसे बड़े जिले पेंडेंसी में सबसे पीछे हैं।

इंदौर पेंडेंसी में पहले और भोपाल तीसरे स्थान पर है। भोपाल में 11,994 लंबित ई-केवाईसी मामलों के साथ पेंडेंसी 9.64% है, जबकि उमरिया 13,284 लंबित मामलों के साथ सबसे नीचे है।

कारण

  • बड़े शहरों में लोग ई-केवाईसी कैंप में नहीं पहुंचते।
  • जनसंख्या अधिक होने के कारण प्रशासनिक निगरानी कमजोर है।
  • सीएससी केंद्रों की कमी भी बड़ी समस्या है।

ई-केवाईसी क्यों जरूरी?

  • यह सुनिश्चित करता है कि योजनाओं का लाभ सही पात्र व्यक्तियों को मिले।
  • फर्जी लाभार्थियों को रोकने में मददगार है।
  • ई-केवाईसी से प्रक्रियाएं डिजिटल और पारदर्शी बनती हैं।
  • आधार आधारित होने के कारण बायोमेट्रिक और ओटीपी के जरिए डेटा सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

समाधान

भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि ई-केवाईसी में सुधार के लिए कैंप आयोजित किए जाएंगे। बैरसिया क्षेत्र में ई-केवाईसी बेहतर ढंग से हो रही है। विशेष रूप से भूमि से जुड़े मामलों में ई-केवाईसी को अनिवार्य किया गया है।

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