ग्वालियर । मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों के लाभ और पदोन्नति मामलों में अधिकारियों की लापरवाही पर सख्त नाराजगी जताई है। जस्टिस अनिल वर्मा ने आदेशों का पालन न करने पर अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी और अगली सुनवाई की तारीख 15 जनवरी 2025 तय की।

कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए सवाल किया कि किसी सरकारी कर्मचारी का सेवा रिकॉर्ड बनाए रखना किसकी जिम्मेदारी है? क्या अधिकारी केवल कागजों पर काम करते रहेंगे? जब पेंशनर मर जाएगा, तब पालन करोगे कोर्ट के आदेश का? कोर्ट ने ग्वालियर और दतिया के कलेक्टरों को अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने का आदेश दिया।

भ्रष्टाचार का मामला और लाभों की मांग: एक सरकारी कर्मचारी की पेंशन और ग्रेच्युटी सहित अन्य लाभ न दिए जाने पर 2014 में यह याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता कैलाश नारायण, जो एक राजस्व निरीक्षक थे, पर भ्रष्टाचार का आरोप था, जिसके कारण उनकी पेंशन रोक दी गई थी, हालांकि कोर्ट ने अन्य लाभ देने का आदेश दिया था, लेकिन उसका पालन नहीं हुआ।

अवमानना याचिकाओं पर सुनवाई: ग्वालियर खंडपीठ में दो मामलों की सुनवाई में जस्टिस अनिल वर्मा ने 12-13 साल से लंबित याचिकाओं पर नाराजगी व्यक्त की। कोर्ट ने अधिकारियों को चेतावनी दी कि समय रहते आदेशों का पालन न होने पर डीजीपी और कलेक्टर को खुद आकर देरी का कारण बताना होगा। सुनवाई के दौरान प्रतिवादी अधिकारियों के वकील ने तर्क दिए, लेकिन जस्टिस वर्मा ने स्पष्ट किया कि कोर्ट के आदेशों का पालन करना ही होगा। अगली सुनवाई 20 नवंबर को होगी।

जस्टिस वर्मा ने टिप्पणी की कि 13 साल बीतने के बाद भी आदेश का पालन न करना शर्मनाक है। कोर्ट ने डीआइजी को अगली सुनवाई में पेश होकर देरी का कारण बताने का निर्देश दिया और दो महीने का समय दिया है।

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