HC_Kotwar_Niyukti_010324

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय का निर्णय (हिंदी अनुवाद)


मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय जबलपुर में

माननीय श्री न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल के समक्ष

दिनांक 1 मार्च, 2024 को

विविध याचिका क्रमांक 6285 / 2018

पक्षकारों के बीच :-

तेजराम पिता राजाराम बलाही, आयु लगभग 44 वर्ष, व्यवसाय – मज़दूरी, ग्राम चीराखान,
तहसील हंडिया, जिला हरदा (मध्यप्रदेश)
…..याचिकाकर्ता (श्री बीरेन्द्र कुमार उपाध्याय, अधिवक्ता द्वारा प्रतिनिधित्वित)

विरुद्ध

1. राजस्व मंडल, मध्यप्रदेश, ग्वालियर, इसके अध्यक्ष अधिकारी के माध्यम से, राजस्व मंडल, ग्वालियर (मध्यप्रदेश)
2. अतिरिक्त आयुक्त, नर्मदापुरम संभाग, जिला होशंगाबाद (मध्यप्रदेश)
3. उप प्रभागीय अधिकारी (राजस्व), जिला हरदा (मध्यप्रदेश)
4. तहसीलदार हंडिया, जिला हरदा (मध्यप्रदेश)
5. ग्वालराम पिता राजाराम बलाही, निवासी ग्राम चीराखान, तहसील हंडिया (मध्यप्रदेश)
6. रामविलास पिता राजाराम बलाही, निवासी ग्राम चीराखान, तहसील हंडिया (मध्यप्रदेश)
7. तोताराम पिता राजाराम बलाही, निवासी ग्राम चीराखान, तहसील हंडिया (मध्यप्रदेश)
8. सुशील पिता राजाराम बलाही, निवासी ग्राम चीराखान, तहसील हंडिया (मध्यप्रदेश)

…..प्रतिवादी
(प्रतिवादी क्रमांक 1 से 4 – श्री टी. के. खटका, पैनल अधिवक्ता द्वारा)
(प्रतिवादी क्रमांक 5 से 8 – श्री डी. के. गंगराडे, अधिवक्ता द्वारा)

यह याचिका आज प्रवेश हेतु प्रस्तुत हुई, जिस पर न्यायालय ने निम्न आदेश पारित किया:



याचिकाकर्ता ने दिनांक 21.04.2017 को पारित अतिरिक्त आयुक्त, नर्मदापुरम संभाग,
होशंगाबाद के आदेश को चुनौती दी है, जिसके द्वारा अतिरिक्त आयुक्त ने ग्वालराम
(प्रतिवादी क्रमांक 5) द्वारा दायर अपील क्रमांक 354/अपील/2015-16 को स्वीकार कर लिया।

संक्षिप्त तथ्य इस प्रकार हैं कि ग्वालराम और तेजराम सगे भाई हैं। ये दोनों स्व. राजाराम के पुत्र हैं।
राजाराम, जो कि कोटवार थे, दिनांक 11.03.2014 को देहांत हो गया। इसके पश्चात तहसीलदार ने विज्ञापन जारी किया और आपत्तियाँ आमंत्रित कीं। पटवारी की रिपोर्ट तथा थाना प्रभारी से प्राप्त चरित्र सत्यापन रिपोर्ट के आधार पर ग्वालराम के पक्ष में नियुक्ति आदेश जारी किया गया।

तहसीलदार के समक्ष आपत्तियाँ प्रस्तुत की गईं, जिनमें उल्लेख था कि आपत्ति करने वाला शिक्षित है तथा कोटवारी का कार्य समझता है और वह अपने पिता की मदद करता रहा है, इसलिए उसे नियुक्ति दी जाए। यह भी बताया गया कि तेजराम को अशिक्षित कहा गया है और इस कारण उसे कोटवार का पद देना उचित नहीं होगा।

इस प्रकार की आपत्तियों पर विचार करते हुए तहसीलदार ने ग्वालराम को कोटवार नियुक्त कर दिया।

उस आदेश से आहत होकर तेजराम ने उप प्रभागीय अधिकारी, हरदा के समक्ष अपील दायर की, जिसे अपील क्रमांक 12/वर्ष 2014-15 (ग्राम चीराखान, तहसील हंडिया) के रूप में पंजीकृत किया गया।
उसमें एक शपथपत्र प्रस्तुत किया गया, जिसमें दर्शाया गया कि याचिकाकर्ता किसी भी दोषसिद्धि का पात्र नहीं रहा। उप प्रभागीय अधिकारी ने यह पाते हुए कि किसी शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है, ग्वालराम के पक्ष में जारी नियुक्ति आदेश को निरस्त कर दिया और याचिकाकर्ता तेजराम को नियुक्त करने का निर्देश दिया।

उस आदेश से असंतुष्ट होकर ग्वालराम ने अतिरिक्त आयुक्त, नर्मदापुरम संभाग, होशंगाबाद के समक्ष अपील दायर की, जिसे ग्वालराम के पक्ष में तय कर दिया गया। परिणामस्वरूप यह रिट याचिका दायर की गई।

याचिकाकर्ता की दलील यह है कि प्रथम, किसी भी शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नहीं है और केवल ग्वालराम के पास अधिक शैक्षणिक योग्यता होना नियुक्ति देने के लिए पर्याप्त कारण नहीं है। द्वितीय, उसके विरुद्ध कोई दोषसिद्धि का आदेश नहीं है और उसके द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र पर उप प्रभागीय अधिकारी ने सही भरोसा किया था, जिस पर अतिरिक्त आयुक्त द्वारा हस्तक्षेप करना आवश्यक नहीं था।

श्री टी. के. खटका, पैनल अधिवक्ता तथा श्री डी. के. गंगराडे, प्रतिवादी क्रमांक 4 के अधिवक्ता ने impugned आदेश का समर्थन किया।

प्रावधानों का अवलोकन करने पर पाया गया कि मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 230 कोटवारों की नियुक्ति एवं उनके कर्तव्यों से संबंधित है। इस धारा की उपधारा (1) का वह भाग, जिसे मध्यप्रदेश अधिनियम क्रमांक 23, वर्ष 2018 द्वारा हटा दिया गया था, यह प्रावधान करता था कि मध्यभारत क्षेत्र में इस धारा के अंतर्गत कोटवार के कर्तव्य पुलिस चौकीदारों द्वारा निभाए जाएंगे। यह चौकीदार, अधिनियम के लागू होने के साथ ही कोटवार माने जाएंगे और राजस्व अधिकारियों के नियंत्रण में रहेंगे।

इसके बाद धारा 231 कोटवारों के वेतन से संबंधित है।

धारा 258 सामान्य नियम बनाने की शक्तियों से संबंधित है। यद्यपि ऐसा कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है जिससे यह स्पष्ट हो कि कोटवार के वास्तविक कर्तव्य क्या हैं, तथापि सामान्य परिभाषा में कोटवार को गाँव में घटित किसी भी घटना की सूचना निकटतम पुलिस चौकी को देने वाला प्रथम व्यक्ति माना जाता है।अर्थात् वह गाँव के निवासियों के नागरिक और आपराधिक हितों का संरक्षक होता है और पुलिस चौकी तथा नागरिकों के बीच संपर्क का माध्यम होता है।

जब इस पहलू पर विचार किया जाता है तो यह स्पष्ट होता है कि ऐसे व्यक्ति कोटवार नहीं हो सकते जिनका आपराधिक पृष्ठभूमि हो और जिनके संबंध में किसी भी न्यायालय से बरी (acquittal) होने का आदेश प्रस्तुत न किया गया हो। केवल यह कह देना कि याचिकाकर्ता पर कोई अपराध नहीं है और उस पर शपथपत्र देना पर्याप्त नहीं है।

अतिरिक्त आयुक्त ने विस्तार से इस तथ्य पर विचार किया कि याचिकाकर्ता के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 294, 323, 506, 324, 34 के अंतर्गत अभियोग लंबित हैं और उस पर आरोपपत्र क्रमांक 29/25.07.1999 प्रस्तुत किया गया था तथा प्रकरण क्रमांक 43/26.07.1999 के रूप में दर्ज है। जब तक पूर्णत: निर्दोष साबित होने के दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए जाते, तब तक तहसीलदार द्वारा ग्वालराम के पक्ष में दी गई नियुक्ति में कोई त्रुटि नहीं मानी जा सकती।

इसलिए, याचिका असफल होती है और खारिज की जाती है।



(विवेक अग्रवाल)
न्यायाधीश

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