फोन पर बात करना गोपनीय, टैपिंग से साक्ष्य लेना अवैध: हिमाचल हाई कोर्ट
DBEP/B13/61124
06/11/2024 Wednesday, Shimla
अपने घर/कार्यालय की गोपनीयता में बिना किसी हस्तक्षेप के टेलीफोन पर बातचीत करने के अधिकार को निश्चित रूप से गोपनीयता के अधिकार के रूप में दावा किया जा सकता है।
– हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने निजता के अधिकार पर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना टेलीफोन टैपिंग कर साक्ष्य जुटाना अवैध है। कोर्ट के अनुसार, ऐसे अवैध तरीके से जुटाए गए साक्ष्य कानूनन मान्य नहीं हैं।
हाई कोर्ट के जस्टिस बिपिन चंद्र नेगी ने कहा कि निजता का अधिकार भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का अभिन्न हिस्सा है। कोर्ट ने एक पारिवारिक मामले में पत्नी और उसकी मां की आपसी बातचीत की टेलीफोन रिकॉर्डिंग को साक्ष्य के रूप में मान्यता देने की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि फोन पर बातचीत किसी व्यक्ति के निजी जीवन का अहम हिस्सा है और यह गोपनीयता के अधिकार के तहत आता है।