यह मामला हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ था जिसमें कहा गया था कि हिमाचल के जनजातीय क्षेत्रों की बेटियाँ भी संपत्ति में उत्तराधिकारी होंगी और उन पर हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 लागू होगा, न कि जनजातीय रिवाज।

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि :

  1. हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 2(2) के अनुसार यह अधिनियम अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes) पर लागू नहीं होता, जब तक कि केंद्र सरकार विशेष अधिसूचना जारी न करे।
  2. इसलिए उच्च न्यायालय द्वारा दिया गया निर्देश, जिसमें जनजातीय क्षेत्रों की बेटियों के लिए हिन्दू उत्तराधिकार कानून लागू करने को कहा गया था, कानूनी रूप से गलत था
  3. यह मुद्दा न तो निचली अदालत में और न ही पक्षकारों की अपील में उठाया गया था, इसलिए इस पर आदेश देना उचित नहीं था।
  4. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के निर्णय के पैरा 63 को पूरी तरह हटाने (expunge) का आदेश दिया
  5. इस प्रकार, अपील निपटाई गई और कोई अन्य आदेश बाकी नहीं रहा।

सरल शब्दों में निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि:

  • जनजातीय लोगों पर हिन्दू उत्तराधिकार कानून लागू नहीं होता
  • हाई कोर्ट ने जो यह कहा था कि बेटी को हिन्दू उत्तराधिकार कानून के तहत हक मिलेगा — यह गलत था और उसे हटा दिया गया

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