मध्य प्रदेश भू-सीमा अधिनियम, 1960 का मुख्य उद्देश्य राज्य में भूमि के असमान वितरण को रोकना, भूमिहीन किसानों को भूमि उपलब्ध कराना और जमींदारी/बड़े भू-स्वामित्व को सीमित करना है।


1. अधिनियम का उद्देश्य

  • किसी एक व्यक्ति/परिवार के पास अधिकतम कितनी कृषि भूमि हो सकती है, यह तय करना
  • अतिरिक्त (सीमा से अधिक) भूमि को सरकार द्वारा अधिग्रहित करना
  • अधिग्रहित भूमि को भूमिहीन, गरीब किसानों में वितरित करना
  • कृषि सुधार और सामाजिक न्याय स्थापित करना

2. किस पर लागू होता है

  • यह अधिनियम कृषि भूमि पर लागू होता है
  • शहरी भूमि, आबादी की भूमि, औद्योगिक भूमि आदि पर सामान्यतः लागू नहीं होता
  • व्यक्ति, परिवार, हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) आदि सभी पर लागू

3. भूमि सीमा (Ceiling Limit)

भूमि की सीमा भूमि के प्रकार और सिंचाई की स्थिति पर निर्भर करती है, जैसे—

  • सिंचित भूमि (दो फसल वाली) – कम सीमा
  • असिंचित भूमि – अधिक सीमा

जो भूमि इस निर्धारित सीमा से अधिक होगी, उसे अतिरिक्त भूमि (Surplus Land) माना जाएगा।


4. अतिरिक्त भूमि (Surplus Land)

  • यदि किसी व्यक्ति/परिवार के पास सीमा से अधिक भूमि है
  • तो वह भूमि राज्य सरकार में निहित (Vesting) हो जाती है
  • भूमि स्वामी को उस अतिरिक्त भूमि पर कोई अधिकार नहीं रहता

5. भूमि की गणना कैसे होती है

  • व्यक्ति के नाम की भूमि
  • परिवार के सदस्यों के नाम की भूमि
  • बेनामी/छुपाकर रखी गई भूमि
  • बटाई, पट्टे आदि की भूमि (कुछ मामलों में)

सबको जोड़कर कुल जोत (Holding) निकाली जाती है


6. छूट (Exemptions)

कुछ भूमि इस अधिनियम से मुक्त होती हैं, जैसे—

  • बाग़, नर्सरी
  • धार्मिक/शैक्षणिक संस्थानों की भूमि (कुछ शर्तों पर)
  • अनुसूचित क्षेत्रों में विशेष प्रावधान

7. प्रक्रिया (कार्यवाही)

  1. भूमि स्वामी से घोषणा पत्र (Declaration) लिया जाता है
  2. तहसीलदार/प्राधिकृत अधिकारी द्वारा जांच
  3. सीमा से अधिक भूमि चिन्हित
  4. आदेश पारित कर भूमि सरकार में निहित
  5. भूमि का वितरण पात्र व्यक्तियों को

8. अपील का अधिकार

  • तहसीलदार के आदेश के विरुद्ध
    • अनुविभागीय अधिकारी (SDO)
    • कलेक्टर
    • राजस्व मंडल
    • उच्च न्यायालय तक अपील संभव

9. दंड प्रावधान

  • गलत जानकारी देने पर
  • भूमि छुपाने या बेनामी रखने पर
  • अधिनियम का उल्लंघन करने पर
    जुर्माना एवं अन्य कार्रवाई का प्रावधान

10. Patwari / राजस्व अधिकारियों की भूमिका

  • भूमि रिकॉर्ड सत्यापन
  • जोत की सही गणना
  • सीमांकन व प्रतिवेदन
  • अतिरिक्त भूमि की पहचान में सहयोग
  • वितरण प्रक्रिया में सहायता

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