Van_Gram_Patta_Clarification_071025

यह दस्तावेज़ मध्यप्रदेश शासन के जनजातीय कार्य विभाग द्वारा 07/10/2025 को जारी किया गया एक स्पष्टीकरण पत्र है । इसका मुख्य उद्देश्य वन ग्रामों में वन अधिकार पत्र (पट्टे) को लागू करने के दौरान आ रही व्यावहारिक समस्याओं का समाधान करना है ।

इस दस्तावेज़ का मुख्य सारांश निम्नलिखित है:

मुख्य दिशा-निर्देश और समाधान

सर्वेक्षण का आधार: वन ग्रामों के लिए वर्ष 1980 में तैयार किए गए पटवारी मानचित्र के रकबे (क्षेत्रफल) को ही मान्य माना जाएगा ।

कब्जे वाली भूमि की मान्यता: यदि किसी पट्टाधारी ने अपने आवंटित पट्टे की जगह वन ग्राम की किसी अन्य भूमि पर कब्जा कर खेती की है, तो 13/12/2005 की स्थिति में उसके वास्तविक कब्जे को मान्य करते हुए संशोधित पट्टा दिया जाएगा ।

आदिवासी वर्ग के लिए नियम: * यदि 13/12/2005 तक वारिस वयस्क हो गए हैं और कुल कब्जा मूल पट्टे से अधिक है, तो प्रति परिवार अधिकतम 4 हेक्टेयर की सीमा तक वन अधिकार पत्र दिए जा सकते हैं ।

एक वारिस होने की स्थिति में, पट्टे के रकबे के अनुसार वन अधिकार पत्र दिए जाएंगे ।

गैर-आदिवासी वर्ग: यदि वे तीन पीढ़ी का प्रमाण नहीं दे पा रहे हैं, तो भी पट्टे के रकबे की सीमा तक 13/12/2005 की स्थिति में उनके कब्जे को मान्य करते हुए पुनरीक्षित पट्टा दिया जाएगा ।

अनुपस्थित पट्टाधारी: यदि पट्टाधारी 13/12/2005 से पहले ग्राम छोड़ चुका है या उसकी मृत्यु हो गई है और वारिस का पता नहीं है, तो ऐसे पट्टे शून्य माने जाएंगे ।

वन प्रबंधन: वन ग्राम के ऐसे हिस्से जहाँ वर्तमान में खेती नहीं हो रही है और वे वन आच्छादित हैं, उन्हें वन ग्राम से अलग कर वन प्रबंधन में वापस लिया जाएगा ।

महत्वपूर्ण शर्तें
समस्त कार्यवाही के लिए यह अनिवार्य है कि कब्जेदार 13/12/2005 की स्थिति में वयस्क होना चाहिए ।

यह आदेश जनजातीय कार्य विभाग, वन विभाग, राजस्व विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के संयुक्त समन्वय से जारी किया गया है ।

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