पटवारी द्वारा रिश्वत मांगने की शिकायत पर लोकायुक्त जांच हेतु उच्च न्यायालय का निर्देश

🔷 मामले की पृष्ठभूमि:
याचिकाकर्ता: अनुरुद्ध श्रीवास्तव
प्रतिवादी: मध्य प्रदेश शासन एवं अन्य अधिकारी
न्यायालय: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर
न्यायाधीश: माननीय श्री न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा
तारीख: 25 जून 2025
🔶 याचिका में मांगी गई राहत (Reliefs Sought):
अनुरुद्ध श्रीवास्तव ने हाई कोर्ट में अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दाखिल कर निम्नलिखित चार मुख्य मांगें कीं:
- नामांतरण आवेदन पर निर्णय:
- उन्होंने 29 मार्च 2025 को एक आवेदन दिया था जिसमें भूमि के रिकॉर्ड (नामांतरण/बटवारा) में अपना नाम दर्ज कराने का निवेदन किया गया था।
- उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि इस आवेदन पर एक निश्चित समय सीमा में निर्णय लेने का आदेश दिया जाए।
- राजस्व रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने का आदेश:
- याचिकाकर्ता ने आग्रह किया कि संबंधित खसरा नंबर 1073 (क्षेत्रफल 0.3325 हेक्टेयर, ग्राम शहपुरा, तहसील व जिला सागर) की भूमि में उनका नाम दर्ज किया जाए।
- रिश्वत मांगने की जांच:
- उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पटवारी (प्रतिवादी क्रमांक 4, नाम – राम सागर तिवारी) ने ₹20,000 की रिश्वत की मांग की।
- उन्होंने मांग की कि इस भ्रष्टाचार की जांच के लिए तहसीलदार (प्रतिवादी क्रमांक 3) को निर्देशित किया जाए
🔶 मुख्य घटनाक्रम और साक्ष्य:
- याचिकाकर्ता ने एक शिकायत (Annexure P/3) सागर संभाग के आयुक्त को दी थी, जिसमें साफ तौर पर लिखा था कि: “पटवारी ने नामांतरण व बंटवारे के लिए ₹20,000 मांगे और कहा कि चाहे प्रधानमंत्री के पास चले जाओ, बिना पैसे के काम नहीं होगा।”
- वकील ने कोर्ट को बताया कि रिश्वत नहीं देने के कारण याचिकाकर्ता का नामांतरण कार्य रुका हुआ है।
- उन्होंने अनुरोध किया कि इस शिकायत को लोकायुक्त को जांच के लिए भेजा जाए।
🔷 न्यायालय का विचार और निर्णय:
- न्यायालय ने माना कि पटवारी के खिलाफ भ्रष्टाचार का स्पष्ट आरोप है।
- ऐसे मामलों की गहराई से जांच आवश्यक है, इसलिए कोर्ट ने याचिकाकर्ता की शिकायत को लोकायुक्त विभाग को भेजने का आदेश दिया।
- कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि शिकायत (Annexure P/3) को लोकायुक्त विभाग में की गई औपचारिक शिकायत माना जाए और उस पर उचित कार्रवाई की जाए।



Seoni